अवसर दुख संग हर्ष का है
स्वागत नूतन वर्ष का है
पर-हित को है जो जीता
उसके लिए उत्कर्ष का है
स्वागत नूतन.............
जिस
हरकत पर शर्म करो
ऐसा
ना तुम कर्म करो
उत्पीड़न
या हिंसा हो
शब्द
बड़ा अपकर्ष का है
स्वागत
नूतन.............
बहस निरंतर हम करते
निर्णय लेकिन कम करते
धरने-वादे बहुत हुए
अब अवसर निष्कर्ष का है
स्वागत नूतन...............
हर
प्राणी श्रम जब करता
देश
तरक़्क़ी तब करता
लक्ष्य
शिखर को छूना है
क़िस्सा
फ़र्श से अर्श का है
स्वागत
नूतन................
-भूपेंद्र कुमार